पेरिस में हो रही फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग में चीन और सऊदी अरब ने भारत, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका का समर्थन दिया है, इस से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है।
अब पाकिस्तान को मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद पर जल्द ही काम करना पड़ेगा इसके अलावा उसे सभी आतंकवादियों पर केस चला के उनका खात्मा करना पड़ेगा ।
इस मीटिंग में केवल तुर्की ही पाकिस्तान के साथ था, पाकिस्तान को शुरुआत से लग रहा था चीन उसका साथ देगा पर चीन के इस कदम से उसे बड़ा झटका लगा है।
सूत्रों के मुताबिक़ इसके बाद पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही रहेगा और उसको इस साल जून तक आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने पड़ेंगे अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
पिछले साल विदेश मंत्रालय ने महाबलीपुरम में हुई अनौपचारिक मीटिंग के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति सी जिंगपिंग आतंकवाद को ले कर चिंतित हैं क्योंकि ये जनमानस के लिए एक बड़ा खतरा है । भारत और चीन जैसे बड़े और विविध देश आतंकवाद के खिलाफ काम करने के महत्व को समझते हैं, हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि अंतराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ मानकों को कड़ा बनाये।
पाकिस्तान के दुनिया और अपने लोगों को दिखाने के लिए पाखण्ड का सहारा लिया था, पाकिस्तान कि सभी कोशिशों के बाद भी वो ग्रे लिस्ट में है और रहेगा अब ये पाकिस्तान के ऊपर है वो मीटिंग के मानकों को माने और अगली बार खुद को ग्रे लिस्ट होने से बचाये। पाकिस्तान को सभी सदस्य देशों ने कड़ी चेतावनी दी है कि वो जून 20 तक आतंकवाद के खिलाफ 13 एक्शन ले अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहे , ये सब बातें एक सूत्र ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहीं।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बचने के लिए अपने आतंकी हाफ़िज़ सईद और उसके साथियों को 11 साल कि सजा सुनाई है और उसने हाल ही में बयान दिया था कि कुख्यात आतंकी मसूद अज़हर लापता हो गया है।
पर चीन और सऊदी के इस कदम के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अकेला पड़ गया है
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