National Sports Day 2019: मेजर ध्यानचंद के जीवन की अनसुनी बातें जो आपको हैरान कर देगी

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National Sports Day 2019

National Sports Day 2019: मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan chand) को हॉकी के जादूगर कहा जाता हैं इनका जन्म इलाहाबाद में आज ही के दिन 29 अगस्त 1905 को हुआ था आज यानि गुरुवार को पूरा देश में उनकी 114वीं जयंती मनाई जा रही है हमारे देश में मेजर ध्यानचंद के प्रति आदर-सम्मान व्यक्त करने के लिए उनके जन्मदिन 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खेल दिवस के दिन राजीव गांधी खेल रत्न, सर्वोच्च खेल सम्मान के अलावा द्रोणाचार्य और अर्जुन पुरस्कार भी खिलाड़ियों को प्रदान किये जाते हैं

Interesting Facts about Major Dhyan Chand – National Sports Day 2019

कम उम्र में की हॉकी खेलने की शुरुआत

ध्यानचंद भारतीय सेना के साथ 16 साल की कम उम्र में ही जुड़ गए थे। इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू दिया था। ध्यानचंद को हमेशा से हॉकी का इतना जुनून था कि वह बहुत ज्यादा प्रैक्टिस किया करते थे।

कैसे बने हॉकी के जादूगर?

1928 में हुए एम्सटर्डम ओलिंपिक गेम्स में वह भारत की ओर से सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने थे (National Sports Day 2019)। इन खेलों में मेजर ध्यानचंद ने कुल 14 गोल किए थे जो सबसे ज्यादा थे। ध्यानचंद के सबसे ज्यादा गोल होने पर उस समय एक अखबार ने लिखा था, ‘यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’

Unknown Story of Berlin Oympic 1936

बर्लिन आलंपिक (Berlin Oympic 1936) में भारत और जर्मनी के बीच हॉकी का फाइनल 14 अगस्त 1936 को खेला जाना था लेकिन उस दिन लगातार हो रही बारिश के कारण ये मैच अगले दिन 15 अगस्त को खेला गया बर्लिन के हॉकी स्टेडियम में इस मैच को देखने के लिए उस दिन 40 हजार दर्शकों के साथ हिटलर भी उपस्थित था

भारत हाफ टाइम तक सिर्फ एक गोल से आगे था इसके बाद ही मेजर ध्यानचंद ने अपने स्पाइक वाले जूते उतारते हुए खाली पांव ही शानदार हॉकी खेली इसके बाद भारत ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए एक के बाद एक कई गोल दागे

साथी दारा ने ऐसे बयां की बर्लिन ओलिंपिक फाइनल की कहानी

बर्लिन ओलंपिक 1936 में उनके साथी खिलाडी और बाद में पाकिस्तान के कप्तान रहे आईएनएस दारा ने एक लेख में लिखा था कि – छह गोल से पिछड़ने के बाद जर्मन काफी बुरी हॉकी खेलने लगी थी जर्मन के गोलकीपर टीटो वार्नहोल्ट्ज की हॉकी स्टिक ध्यानचंद के मुंह पर इतनी तेज़ लगी थी कि उनका दांत टूट गया था

इस तरह सिखाया जर्मनी को सबक

इस मैच में घायल होकर प्रारंभिक उपचार लेने के बाद ग्राउंड पर वापिस आने के बाद सभी खिलाड़ियों को ध्यानचंद ने निर्देश दिए कि अब कोई गोल नहीं किया जायेगा, हम जर्मन टीम के खिलाड़ियों को ये बताएँगे कि गेंद पर किस तरह नियंत्रण किया जाता है इसके बाद खिलाड़ी गेंद को बार-बार जर्मनी की डी में लेकर जाते और गेंद को बैक पास कर देते उस समय जर्मन खिलाड़ियों की ये समझ ही नहीं आ रहा था कि ये कर क्या रहे है

ऐसे लिया हार का बदला

बर्लिन ओलंपिक के उस फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8-1 से शिकस्त दी थी जिसमे से तीन गोल ध्यानचंद (Dhyan Chand) ने किए थे 1936 के ओलंपिक खेल शुरू होने से पहले हुए एक अभ्यास मैच में भारतीय टीम को जर्मनी के हाथों 4-1 से हार झेलनी पड़ी थी ध्यानचंद ने अपनी जीवनी ‘गोल’ में जिक्र करते हुए लिखा था कि, ‘मैं जब तक जीवित रहूंगा इस हार को कभी नहीं भूलूंगा इस हार ने हमें इतना हिला कर रख दिया कि हम पूरी रात सो नहीं पाए

जब मेजर ध्यानचंद को हिटलर ने दिया था प्रलोभन

ऐसा माना जाता है कि मेजर ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से हिटलर इतना प्रभावित हुआ कि उन्हें खाने पर आमंत्रित किया और उन्हें आगे जर्मनी की तरफ से खेलने का प्रस्ताव रखा साथ ही इसके बदले में उन्हें मजबूत जर्मन सेना में कर्नल पद का प्रलोभन भी हिटलर ने दिया था। लेकिन उनके प्रस्ताव को ठुकराते हुए मेजर ध्यानचंद ने कहा, ‘हिंदुस्तान मेरा देश है और मैं वहां खुश हूं

Lesser Known Facts about Major Dhyan Chand – National Sports Day 2019

हॉकी जादूगर से जुडी ये बातें जो आपको हैरान कर देगी।

बहुत कम लोग ये जानते है कि मेजर ध्यानचंद को बचपन में हॉकी से ज्यादा कुश्ती से लगाव हुआ करता था

एक बार ध्यानचंद से पूछने पर उन्होंने कहा था- अगर कोई मुझसे पूछेगा कि कौन-सा वह सबसे अच्छा मैच था, जो मैंने खेला, तो मैं उसका जवाब में कहूंगा, कलकत्ता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच 1933 का बेटन कप फाइनल

1932 के ओलंपिक के दौरान भारत ने अमेरिका को 24-1 और जापान को 11-1 से हराया था उन 35 गोलों में से ध्यानचंद ने 12, जबकि उनके भाई रूप सिंह ने 13 गोल किये थे इसी के बाद से उन दोनों को ‘हॉकी का जुड़वां’ कहा जाने लगा था

एक बार की बात है मेजर ध्यानचंद को एक मैच के दौरान गोल करने में समस्या हो रही थी, तो उन्होंने गोल पोस्ट की माप पर आपत्ति जताई थी जाँच कारण के बाद आखिरकार उन्हें सही पाया गया अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत निर्धारित आधिकारिक न्यूनतम चौड़ाई का गोल पोस्ट नहीं था

ध्यानचंद भारत के लिए 22 साल तक खेले और 400 इंटरनेशनल गोल किए हैं ऐसा कहा जाता है कि जब मेजर ध्यानचंद खेला करते थे, तो लगता था मानो गेंद स्टिक पर चिपक जाती थी हॉलैंड में खेले गए एक मैच के दौरान स्टिक में चुंबक होने की आशंका के कारण उनकी स्टिक को तोड़कर देखा गया था (National Sports Day 2019) जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई थी

जब तक चांद नहीं निकल आता था वो लगातार हॉकी का अभ्यास करते रहते थे। यही कारण है कि उनके साथी खिलाड़ी उन्हें ‘चांद’ नाम से पुकारने लगे थे।

हॉकी के जादूगर खिलाडी मेजर ध्यानचंद का 3 दिसंबर, 1979 को दिल्ली में अपनी अंतिम साँस ली थी ध्यानचंद का अंतिम संस्कार झांसी में उसी मैदान पर किया गया था जहां वो हॉकी खेला करते थे

खेल रत्न से रहे वंचित

2014 में कांग्रेस सरकार ने जैसे ही भारत रत्न के लिए विभिन्न श्रेणियों में खेल क्षेत्र को भी शामिल किया गया था।। खेल में योगदान देने वाले खिलाड़ियों को भारत रत्न देने का रास्ता खुला तो ध्यानचंद का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर था इनकी जगह सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से सम्मानित कर दिया गया था (National Sports Day 2019) खेल रत्न पाने के लिए ध्यानचंद का इंतजार अब भी जारी ही है

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