आपातकाल की स्थिति में ये घरेलू नुस्ख़े आएंगे आपके काम

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medical emergency cases

आज के समय में व्यक्ति के पास खुद की देखभाल करने की फुर्सत नहीं रही है,ऐसे में आज न केवल महानगरों में बल्कि गावों में भी कई तरह की शारीरिक समस्याएं उत्पन होने लगी है| पूरे दिन या तो काम या फिर पढ़ाई के चलते हम अपने ऊपर ध्यान नहीं देते और आये दिन किसी न किसी प्रकार की समस्या से जूझते रहते है | चाहे वह अपच की समस्या हो या फिर तनाव के कारण हो रहे लगातार सिर दर्द की की समस्या हो| इस लापरवाही के कारण आज कम उम्र में ही लोगों को थायराइड , डायबिटीज,ब्लड प्रेशर आदि की समस्या का शिकार होना पड़ रहा है (medical emergency cases)|

वैसे तो हम अगर डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह हमे अनेकों प्रकार के उपाय बताते हैं परन्तु ,हमे खुद भी सतर्क रहने की कोशिश करनी चाहिए (medical emergency cases)| ऐसी कई अवस्थाओं से बचने के लिए हम सावधान रह सकते हैं और अपने आसपास भी ऐसी अवस्थाओं से निपटने के लिए जागरूकता फैला सकते हैं|

सबसे पहले हमे यह समझना होगा की कोई भी आपातकालीन अवस्था कितनी अधिक घातक है या फिर ऐसी है जिसे टाला जा सकता है | कई बार ऐसी मामूली अवस्थाएं भी आती है जिन्हे हम घर के उपचार से ही ठीक कर सकते हैं और कई बार जानलेवा परिस्थितियों में भी घर पर किया गया छोटा सा उपचार भी हमारी जान बचा सकता है |

आपातकाल स्थिति को हम कुछ  भागों में में बाँट सकते हैं – (medical emergency cases)

1 – आपातकाल से पूर्व सावधानी

2 – आपातकाल के दौरान

3 – आपातकाल के बाद

आपातकाल से पूर्व सावधानी –

1 – सबसे पहले एक सात्विक जीवनचर्या अपना कर हम खुद को स्वस्थ रख सकते हैं |

2 -नियमित रूप से सैर और व्यायाम करने की आदत डालना  |

3 – खान-पान का ध्यान रखना फल,हरी सब्ज़ियाँ,दूध आदि का सेवन करना |

4 – समय पर सोना व समय पर उठना

5 नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेना और मूल खून की जाँच जैसे,ब्लड-शुगर, थायराइड  आदि की जाँच करवाना

आपातकाल के दौरान –

1-आपातकाल के दौरान सबसे पहले खुद को शांत व  एकाग्र रखना चाहिए

2 – स्थिति को समझते हुए खास लक्षणों की पहचान करनी चाहिए जैसे,शुगर कम होने पर व्यक्ति बोल नहीं पाता,हृदय-   घात  होने पर बाएं तरफ दर्द ,मिर्गी के दौरों में दाँतों से आवाज़ आना या मुँह से झाग आना आदि

3 – मरीज़ को आवश्यकता अनुसार उपचार देना चाहिए

4 – अधिक समय तक घर पर रुक कर खुद इलाज नहीं करना चाहिए,सीधा डाक्टर के पास जाना चाहिए

5 – डॉक्टर को मरीज़ से सम्बंधित पूरी जानकारी देनी चाहिए जैसे ,घर पर मरीज़ की हालत कैसी थी , आपने किस तरह उपचार किया आदि

आपातकल के बाद –

1 – आपातकाल के बाद मरीज़ को डाक्टर की सलाह माननी चाहिए

2 -नियमित रूप से दवा का सेवन करना चाहिए

3 – पुनः आपातकाल की स्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए

कुछ आपातकालीन स्थितियां और उनके उपचार – (medical emergency cases)

हृदय सम्बंधित –

1- सबसे पहले हृदय घात के लक्षणों को समझना चाहिए – दम घुटना ,अचानक चककर आना ,दिल की धड़कन धीमी होना ,ठंडा पसीना आना आदि

2-यह देखना चाहिए कि व्यक्ति होश में है या नहीं, अगर व्यक्ति होश में है तो उससे बात करने की कोशिश करनी चाहिए | अगर व्यक्ति होश में नहीं है तो उसे तुरंत होश में लाने का प्रयास करना चाहिए

3- तुरंत सीपीआर (CPR) देने की कोशिश करनी चाहिए अगर सीपीआर देना मुमकिन ना हो तो व्यक्ति के दिल के पास अपने दोनों हाथों  को आपस में जोड़ कर पंप की तरह दबाना चाहिए ऐसा करने से व्यक्ति का हृदय पुनः धड़कने लगेगा

4- अगर पीड़ित व्यक्ति पहले से ही हृदय सम्बंधित रोग से ग्रस्त है तो उसे सोर्बिट्रेट नामक दवा देनी चाहिए

शुगर या डायबिटीज सम्बंधित –

1 – नियमित रूप से ब्लड-शुगर की जाँच करवाते रहना चाहिए खासकर तब जब परिवार में किसी को यह बीमारी हो |

2 – अगर आप मोटे हैं ,नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं ,ठीक से भोजन नहीं करते हैं ,बार-बार बाथरूम जाने लगे हैं ,शरीर में सुस्ती रहती हैं, धुंधला दिखाई देना ,तो यह सब शुगर सम्बंधित रोग होने के लक्षण हैं ,इन पर सही समय पर ध्यान देना चाहिए

3 -अगर किसी व्यक्ति को लो-शुगर होती  है तो वह अपने आप को होश में नहीं रख पाएगा ऐसे में,वह चक्कर खा कर गिर सकता है,उसकी ज़ुबान लड़खड़ाने लगेगी,दिल की धड़कन धीमी होने लगेगी और वह उटपटांग बोलने लगेगा| इन सभी लक्षणों को पहचान कर तुरंत उपचार शुरू करना चाहिए

4 – ऐसे में  घर पर मशीन उपलब्ध हो तो सबसे पहले ब्लड-शुगर का टेस्ट कर शुगर के लेवल जाँचना चाहिए,लेवल कम आने पर  चीनी या ग्लूकोस देना चाहिए |

5 – आराम न मिलने पर तुरंत डॉक्टर  के पास जाना चाहिए| शुगर का ज्यादा या कम होना दोनों ही  घातक साबित हो सकते हैं ऐसे में दोनों परिस्थितियों में सावधानी बरतनी चाहिए | (medical emergency cases)

ब्लड प्रेशर –

1 -उच्च व निम्न रक्तचाप की समस्या आमतौर पर हर दूसरे व्यक्ति को है,सबसे बड़ा कारण जिससे ब्लडप्रेशर की समस्या होती है वह है स्ट्रेस या तनाव|

2 – उच्च-रक्तचाप के लक्षण  हैं,अधिक नमक का सेवन करने पर घुटन महसूस होना, सिर दर्द,बदन दर्द,चक्कर आना,दिल की धड़कने तेज़ होना आदि|

3 – निम्न-रक्तचाप के लक्षण है , कम नमक खाना,जी घबराना,चककर  आना, दिल की धड़कन कम होना आदि

4 – अगर परिवार में ब्लड-प्रेशर की समस्या है तो समय-समय पर जाँच करते रहना चाहिए | कम प्रेशर होने पर धीरे-धीरे नमक का घोल देना चाहिए | अधिक ब्लड-प्रेशर होने पर चाय इत्यादि का सवन नहीं करना चाहिए | लेट जाना चाहिए तथा खुले कपडे पहन ने चाहिए

ज़ुखाम या कॉमन कोल्ड –

1- बदलते मौसम में बैक्टीरिया व अन्य कीटाणुओं के कारण ज़ुखाम सबसे अधिक फैलता है| ज़ुखाम का संक्रमण तुरंत फैलता है तथा कई दिनों तक रहता है

2 – ज़ुखाम के कारण कई बार नाक बहती है और कई बार बंद रहती है, सिर में दर्द रहना,हल्का बुखार होना , बदन दर्द आदि सब ज़ुखाम के लक्षण हैं

3 – ज़ुखाम से बचने के लिए अधिक भीड़ वाले इलाकों में मुहँ  को धककर  जाना चाहिए | संक्रमण होने पर गर्म पदार्थों जैसे चाय व  काढ़ा इत्यादि का सेवन करना चाहिए |

4 – तुलसी के पत्तो की चाय पीनी चाहिए, हल्दी वाला दूध लेना चाहिए ,खाने में हल्का भोजन जैसे खिचड़ी व दाल – दलिया ही लेना चाहिए  (medical emergency cases)

स्ट्रोक की स्थिति में –

1 – स्ट्रोक के लक्षणों को की पहचान करनी चाहिए जैसे, चेहरे की मांसपेशियों का खींचना या सिकुड़ना, किसी भी चीज़ पर हाथों से पकड़ न बना पाना ,बोलने में दिक्कत होना , सीधा खड़ा न हो पाना ,खाना न चबा पाना

2- स्ट्रोक के लक्षणों  को पहचान कर तुरंत मरीज़ को अस्पताल ले जाना चाहिए

कुछ अन्य आपातकाल सम्बंधित सावधानियाँ –

1- हीट स्ट्रोक होने पर मरीज़ को जल या अन्य तरल पदार्थों का सेवन करवाना चाहिए ,साथ ही नमक की कमी को पूरा करने के लिए नीम्बू,चीनी व नमक का घोल देना चाहिए |

2 – गैस या अपच की समस्या के निवारण के लिए कई घरेलू उपचारों का सहारा लिया जा सकता है,जैसे की , नीम्बू व काला नमक खाना,खाने के बाद पानी के साथ सौंफ या अजवाइन का सेवन करना,गरम पानी में शहद मिलाकर पीना आदि

3 – कट जाने पर हल्दी का उपयोग किया  जा सकता है,हल्दी लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं और इंफेक्शन होने का दर भी नहीं रहता|

4- हड्डी टूट जाने पर तुरंत गत्ता उस जगह पर सीधा कर बांधने  से हड्डी  उस जगह पर सीधी रहेगी और अस्पताल जाने तक अपनी जगह पर टिकी रहेगी |

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