विष्णु भगवान के 10 अवतार: जानें सृष्टि से विनाश तक की रहस्यमयी गाथा के बारे में!

पृथ्वी पर जब-जब अधर्म, अन्याय और असंतुलन बढ़ाता है, तब-तब भगवान विष्णु अवतार (avatar of god vishnu) लेकर धर्म की रक्षा करने के लिए आते हैं। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को ‘पालनहार’ माना गया है, और उनके 10 प्रमुख अवतार (10 avatar of lord vishnu) है। दशावतार मानव सभ्यता के विभिन्न चरणों और धर्म-संरक्षण की कहानियों को दिखाते हैं। ये अवतार सिर्फ धार्मिक ही नहीं है बल्कि वैज्ञानिक, सामाजिक और दार्शनिक दृष्टि से भी बेहद गहरे संदेश हुए नज़र आते हैं। आइए जानते हैं इन 10 अवतारों के पीछे की दिव्या रूपों की कहानियां के बारे में।

मत्स्य अवतार (मछली रूप)
जब प्रलय आया था उस समय सारी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी और वेदों को असुर चुराकर ले गए थे, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य (matsya avatar) रूप लिया था। उन्होंने राजा सत्यव्रत की नाव को खींचकर वेदों और सात ऋषियों को बचाया। इस अवतार ज्ञान और सृष्टि की रक्षा का प्रतीक माना गया।

कूर्म अवतार (कछुआ रूप)
जब अमृत पाने के लिए देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तो मंदराचल पर्वत डगमगाने लगा। तब भगवान विष्णु ने कूर्म रूप धरकर अपनी पीठ पर पर्वत को संभाला था। इस अवतार से धैर्य और संतुलन से ही बड़े कार्य पूरे करने की सिख मिलती हैं।

वराह अवतार (सूअर रूप)
हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी माता को पाताल में छुपा दिया था। तब भगवान विष्णु वराह (विशाल जंगली सूअर) का अवतार लिया और पृथ्वी को अपने दांतों पर उठाकर वापस समुद्र से बाहर निकाल आए थे। इस वराह अवतार (varaha avatar) को धरती की रक्षा का प्रतीक माना गया।

नरसिंह अवतार (आधा सिंह, आधा मनुष्य)
हिरण्यकशिपु वरदान माँगा था कि उसे न कोई इंसान, न कोई जानवर मार सकता है, न दिन में, न रात में, न धरती पर, न आकाश में। तब भगवान विष्णु ने खंभे नरसिंह (god narasimha) रूप में प्रकट हुए और संध्या समय उसे अपनी जांघ पर रखकर नखों से मार दिया। यह नरसिंह अवतार (narasimha avatar) सत्य की जीत और अहंकार के विनाश का प्रतीक है।

वामन अवतार (बौना ब्राह्मण)
राजा बलि ने तीन पग भूमि दान में देने का वचन दिया था तब भगवान विष्णु ने वामन रूप (vamana avatar) में विराट रूप लेकर एक कदम में धरती, दूसरे में आकाश नाप लिया था और तीसरे पग पर राजा बलि ने वामन जी को अपना सिर अर्पित कर दिया। यह अवतार विनम्रता और दान की महत्ता को दर्शाता है।

परशुराम अवतार (योद्धा ब्राह्मण)
जब क्षत्रियों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए अन्याय करना शुरू किया, तब विष्णु भगवान ने परशुराम रूप लिया। उन्होंने फरसे से 21 बार क्षत्रियों का संहार किया। यह अवतार अन्याय के विरुद्ध न्याय की लड़ाई का प्रतीक माना गया है।

राम अवतार
त्रेता युग में अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ। उन्होंने रावण का वध किया और धर्म की स्थापना की। उनको मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है. यह अवतार धैर्य, कर्तव्य, त्याग और सत्य के प्रतीक का आदेश देता है।

कृष्ण अवतार
द्वापर युग में भगवान कृष्णा का जन्म मथुरा में हुआ, जहाँ उन्होंने अत्याचारी कंस का अंत किया, गोपियों के साथ लीलाएं कीं और महाभारत युद्ध में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। इस अवतार से प्रेम, नीति और धर्म का संदेश मिलता है।

बुद्ध अवतार
भगवान विष्णु (vishnu avatar) ने शांति और करुणा का संदेश देने के लिए भगवान गौतम बुद्ध के रूप में जन्म लिया। उन्होंने हिंसा और बलि प्रथा का विरोध करते हुए, मानवता को अहिंसा और दया का मार्ग दिखाया।

कल्कि अवतार (आगामी अवतार)
कलयुग (lord vishnu 10th avatar) के अंत में भगवान विष्णु कल्कि (kalki avatar) रूप में प्रकट होंगे। सफेद घोड़े पर सवार होकर हाथ में तलवार लिए वह अधर्म और पाप का अंत करेंगे। यह अवतार (avatar of kalki) नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगा।
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