आज कल सर्दी का मौसम है। इसमे निमोनिया की शिकयत बच्चो को हो सकती हैं इसलिए इस मौसम में पैदा होने वाले बच्चो का हमे ख़ास ध्यान रखना पड़ता है।
❍ निमोनिया क्या है।
यह एक तरह का इन्फेक्शन होता है जो फेफड़े या छाती में होता है। जिससे फेफड़े में सूजन आ जाती है और तरल पदार्थ भर जाता है जिससे सास लेने में परेशानी होती है,और खासी होती है
निमोनिया सर्दी -जुखाम ,फ्लू के बाद हो सकता है। सर्दी के महीने में यह बहुत फैलता हैं क्योकि यह बहुत ही जीवाणुओ की वजह से होता हैं।
निमोनिया किसी भी उम्र के इंसान को हो सकता है। लेकिन बच्चो में बहुत जल्दी होता है यह बहुत आम सा और जानलेवा भी हो सकता है।
❍ निमोनिया के लक्षण।
1 .बुखार और पसीना आ रहा हो, कपकपी छूट रही हो।
2. खासी बहुत ज़्यादा हो ,गाड़ा ,पीला, हरा और या फिर खून वाला बलगम आ रहा हो।
3. पसलिया चल रही हो।
4. बच्चा साँसे बड़ी तेज़ तेज़ ले रहा हो ,सांस लेते वक़्त सीटी जैसी आवाज़ आ रही हो।
5. होठ और नाखून का रंग नीले रंग का हो गया हो।
6. उल्टिया होना।
7. शरीर में पानी की मात्रा की कमी होना।
8. बहुत पसीना आना।
9. भूख न लगना।
10. अत्यधिक कमजोरी आना।
इसके बाद तुरंत ही मरीज़ को डॉक्टर के पास ले जाए और इसकी पूरी तरीके से जांच करवाए क्योकि निमोनिया भी कई तरीके का होता है।
अगर बच्चा ज़्यादा बीमार हो तो डॉक्टर को दिखाए और उसे अस्पताल में एडमिट करवा कर उसका अच्छे से इलाज करवाए।
अगर डॉक्टर कहे की हल्का निमोनिया है तो उसका इलाज़ घर पर ही कर सकते है।
❍ घेरलू उपाय- कैसे बचे निमोनिया से।
1. बच्चो को पर्यापत भोजन जरूर कराये। पहले छह महीने बच्चे को स्तनपान जरूर कराये। यह सबसे बेहतर तरीका है क्योकि इसे बच्चे के अंदर प्रतिरोदात्मक शक्ति का विकास बहुत जल्दी होता है। जब तक बच्चा ठोस आहार नहीं ले लेता तब तक उसका स्तनपान नहीं छुड़वाना चाहिए।
2. व्यतक्तिव स्वछता पर ध्यान दे जैसे खासते ,छीकते हुए अपना मुँह ढक कर रखे और बच्चो को ऐसे व्यक्ति से दूर रखे। बच्चो के हाथ साफ़ रखे और शिशु की देखभाल अच्छे से करे।
3. धुआँ रहित वातावरण घर में रखे कोई अगर सिगरेट ,बीड़ी पीता हो तो उसे बच्चो से हमेशा दूर रखे। क्योकि धुए से ही निमोनिया , सर्दी झुकाम ,अस्थमा और सांस की बीमारी होने का खतरा होता है।
4. भीड़ भाड़ की जगहों पर बच्चो को हमेशा ले जाने से बचे क्योकि भीड़ भाड़ में ज़्यादा लोग होने से बच्चो को इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
यह सब उपाए तभी करे जब आप के बच्चे को निमोनिया ज़्यादा न हो और ज़्यादा तबियत ख़राब होने पर उसे डॉक्टर को दिखाए और फिर भी तबियत ठीक न हो तो उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाए।
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