धनतेरस मनाने की सही विधि: जानिए पूजा, खरीदारी और यमदीप का महत्व!
धनतेरस शब्द का अर्थ और इसका महत्व क्या है?
धनतेरस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है 'धन' (धन, संपत्ति) और 'तेरस' (तेरहवीं तिथि)। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, अर्थात् अमावस्या की ओर बढ़ते अंधेरे पक्ष की 13वीं तिथि। भारत में यह दीपावली के पर्व की शुरुआत का दिन माना जाता है।
धनतेरस को धनत्रयोदशी क्यों कहा जाता है?
धनतेरस = Dhanatrayodashi, यह पर्व धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेद के देवता) की पूजा होती है, भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मान्यता दी है।
धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ
धनतेरस से जुड़ी कई कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। आइए जानते हैं कि वह कौन-सी काहानियाँ है:-
1. राजा हिम और यमराज की कथा
एक कथा के अनुसार राजा हिम की एक पुत्री ब्रह्मचारिणी थी। लेकिन राजा के पुत्र की मृत्यु हो जाने का भविष्यवाणी हुई थी।
मृत्युदूत (यमराज) साँप बनकर आए। लेकिन युवती ने अपनी चतुराई से पुनः अपने पति को बचाया, उसने सोना-चाँदी के आभूषणों को कमरे के बाहर रख दिया और कई दीप जलाए, जिससे यमराज अँधकार में प्रवेश नहीं कर सके।
इस तरह युवक की मृत्यु टल गई और इस घटना को धनतेरस से जोड़कर बताया जाता है।
2. समुद्र मंथन और लक्ष्मी जी का अवतरण
समुद्र मंथन (Samudra Manthan) की कथा प्रसिद्ध है, जिसमें देवता और राक्षसों ने मिलकर अमृत (अमरत्व का अमृत) पाने हेतु समुद्र मथने की प्रक्रिया की थी।
उस मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुईं, जिन्हें धन, वैभव, समृद्धि की देवी माना जाता है।
उसी समय, भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेद के देवता) भी अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का भी महत्व माना जाता है।
3. स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का संकल्प
धनतेरस का धार्मिक महत्व सिर्फ धन प्राप्ति नहीं, बल्कि स्वास्थ्य (धन्वंतरि) और समग्र कल्याण को भी समाहित करता है।
इस दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, मनुष्य यह प्रार्थना करता है कि आने वाला वर्ष सुख, समृद्धि एवं स्वास्थ्य से परिपूर्ण हो।
धनतेरस की रस्में, पूजा विधि और रीति-रिवाज
धनतेरस का दिन पूरे घर को सजाने और सकारात्मक ऊर्जा से भरने का होता है। सुबह सबसे पहले घर की अच्छी तरह सफाई की जाती है। आँगन और दरवाज़ों पर रंगोली बनाई जाती है और घर के मुख्य द्वार पर तोरण या आम के पत्तों से सजावट की जाती है। गलियारों, मंदिर और पूजा स्थल को भी दीपों से सजाया जाता है ताकि वातावरण में पवित्र आए।
दिन के दौरान खरीदारी करना इस पर्व का मुख्य हिस्सा माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस पर सोना, चाँदी, बर्तन, रसोई से जुड़ा सामान या घर के नए उपकरण खरीदना बेहद शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ घर में स्थायी सुख-समृद्धि लाती हैं।
पूजा का शुभ समय आमतौर पर शाम के प्रदोष काल या वृषभ लग्न के दौरान माना जाता है। इसी समय देवी-देवताओं की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा से पहले घर और मंदिर की हल्की सफाई की जाती है और फिर माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश, धन्वंतरि और कुबेर जी की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित किए जाते हैं। दीपक जलाकर अगरबत्ती, पुष्प, मिठाई और धूप अर्पित की जाती है। पूजा के दौरान माँ लक्ष्मी की आरती, मंत्र-जाप और भजन गाए जाते हैं, और अंत में प्रसाद बाँटा जाता है।
पूजा के बाद दीप जलाने की परंपरा है। कई लोग घर के मुख्य द्वार या आँगन में दीप जलाते हैं या फिर रात भर जलाए रखते हैं। अंधकार और नकारात्मकता को दूर करने का यह प्रतीक माना जाता है।
इसके अलावा, एक विशेष परंपरा “यमदीप” की भी है, इसमें एक दीप दक्षिण दिशा में जलाया जाता है ताकि यमराज प्रसन्न हों और परिवार पर अकाल मृत्यु या दुर्भाग्य का प्रभाव न पड़े।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन काँच (Glass) की मूर्तियों या बर्तनों का उपयोग पूजा में नहीं किया जाता क्योंकि इसे अशुभ माना गया है। साथ ही, ऋण लेना या किसी को उधार देना भी इस दिन वर्जित होता है, क्योंकि यह आर्थिक हानि का संकेत माना गया है।
धनतेरस पर कौन-कौन से देवताओं की पूजा की जाती है?
देवी लक्ष्मी - धन और समृद्धि की देवी, जिन्हें इस दिन विशेष श्रद्धा से पूजा जाता है।
भगवान धन्वंतरि - आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता, जो अमृत कलश लिये प्रकट हुए थे।
भगवान कुबेर - धन के देवता, जिनसे संपन्नता की प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस पर क्या खरीदें ?
धनतेरस पर निम्नलिखित वस्तुओं को खरीदना शुभ माना जाता है:-
- सोना, चाँदी या आभूषण
- घर के लिए नए बर्तन
- रसोई की वस्तुएँ
- इलेक्ट्रॉनिक्स (मोबाइल, घर के उपकरण)
- पूजा सामग्री (दीपक, पूजा सेट)
- नए कपड़े या व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएँ
इतना ही नहीं, यह विश्वास है कि आज ख़रीदे गए धन-संपत्ति (विशेषकर कीमती धातु) कई गुना बढ़ती है।
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