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Dr. Bhim Rao Ambedkar Death Anniversary: बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर पढ़ें उनकी जीवनी और विचार  

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Dr. Bhim Rao Ambedkar Death Anniversary: बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर पढ़ें उनकी जीवनी और विचार   

Dr. B.R. Ambedkar Punyatithi: भारत के महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर है।

6 दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि “परिनिर्वाण दिवस” के रूप में मनाई जाती है। यह दिन हमें उनके संघर्ष, विचारों और समाज को दी गई अमूल्य विरासत को याद करने का अवसर प्रदान करता है।

Dr. Ambedka जन्म, बचपन और शिक्षा

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में एक दलित महार परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें जातिगत भेदभाव, सामाजिक उपेक्षा और असमानता का सामना करना पड़ा, परंतु उनके भीतर शिक्षा के प्रति अत्यधिक लगन थी।

उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। अंबेडकर ने अपनी मेधाशक्ति और अथक परिश्रम के बल पर देश-विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएच.डी. और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। यह उपलब्धि उस समय किसी भारतीय के लिए असाधारण थी, विशेषकर ऐसे व्यक्ति के लिए जिसे समाज में अस्पृश्य माना जाता था।

भीमराव अंबेडकर जी ने छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई

भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों, पिछड़ों और उपेक्षित वर्गों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया। वे मानते थे कि शिक्षा, संगठन और संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन के मुख्य साधन हैं। उन्होंने सामाजिक अन्याय, छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ कई आंदोलन चलाए और लोगों को जागरूक किया।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान का निर्माण और राजनीति में प्रवेश

देश की स्वतंत्रता के बाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत का प्रथम विधि मंत्री बनाया गया। उन्हें भारतीय संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

उनकी दूरदर्शिता, न्यायप्रियता और समावेशी दृष्टिकोण के कारण भारत का संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत और लोकतांत्रिक संविधान बना। उन्होंने संविधान में सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार सुनिश्चित किया।

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सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों में अहम भूमिका

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक और धार्मिक सुधारों पर भी गहरा कार्य किया। समानता आधारित समाज की स्थापना के लिए उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। यह कदम सामाजिक मुक्ति और आत्मसम्मान की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल माना जाता है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन और सम्मान

लंबी बीमारी के बाद 6 दिसंबर 1956 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन हो गया। उनकी मृत्यु को “महापरिनिर्वाण” कहा जाता है क्योंकि समाज में न्याय और समानता लाने के उनके प्रयासों ने उन्हें महान मानवतावादी के रूप में स्थापित किया।

डॉ. भीमराव अंबेडकर को 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके विचारों को स्मरण करते हुए यह संकल्प लेते हैं कि हम एक ऐसे समाज के निर्माण में योगदान देंगे जहाँ किसी के साथ भेदभाव न हो और सभी को समान अवसर मिलें।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन और कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे कि शिक्षा, आत्मसम्मान और संघर्ष के बल पर किसी भी अन्याय के विरुद्ध खड़ा हुआ जा सकता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक युग, एक विचारधारा और मानवता का सच्चा प्रतीक हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचार

  • शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।
  • मैं उस धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
  • हम सबसे पहले और अंत में भारतीय हैं।
  • मनुष्य महान बनता है अपने कर्मों से, न कि जन्म से।
  • जीवन लंबा नहीं, बल्कि महान होना चाहिए।

FAQs

1. डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक दलित परिवार में हुआ था।   

2. डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का क्या नाम था?

उत्तर- डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था।

3. अंबेडकर ने कौन-सा धर्म अपनाया था?

उत्तर- अंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था।

4. बाबा साहेब अंबेडकर का निधन किस दिन हुआ था?

उत्तर- बाबा साहेब अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था।  

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