क्या है चमकी बुखार? कैसे बचा जाए इससे? क्या है इसके लक्षण और किन बातों का रखें खयाल?

चमकी बुखार (Chamki Bukhar) - एक सामान्य बुखार के बारें में तो आप जानते ही होंगे। तथा उस बुखार से आप रिकवर भी कर लेते होंगे। परन्तु इस समय भारत में एक ऐसा बुखार तेजी से फ़ैल रहा है। जिससे निजात पाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। भारत के बिहार राज्य में 'चमकी बुखार' (Chamki Bukhar) बेहद तेजी से फ़ैल रहा है। इस चमकी बुखार का शिकार अधिकतर बच्चे ही हो रहे है। बिहार में अबतक इस चमकी बुखार (Chamki Bukhar) के कारण करीबन 100 से अधिक बच्चों की मृत्यु गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस चमकी बुखार (Chamki Bukhar) के फैलने का कारण जहरीली पदार्थ है। इस चमकी बुखार (Chamki Bukhar) लीची के सेवन से अधिक हो रहा है। आज हम आपको बताएंगे की चमकी बुखार क्या है? तथा इस बुखार के क्या लक्षण है? चमकी बुखार (Chamki Bukhar) से कैसे बचा जाए?
Breaking News Update: के अनुसार, बिहार के बाद अब ओडिशा में भी इस बुखार को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। इतना ही नहीं ओडिशा की राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए एक नया आदेश जारी किया गया है। जिसके बाद राज्य के सभी बाजारों से लीची के सैंपल लिए जाएंगे। तथा उन्हें रिसर्च के लिए लैब भेजा जायेगा।
इस चमकी बुखार का शिकार हुए सभी बच्चों से इस बात का पता लगाया जा सका है की इस बुखार से पीड़ित सभी बच्चों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के लक्षण पाए गए है।
एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह एक दिमाग से जुडी एक भयानक समस्या है। मनुष्य के दिमाग में लाखों कोशिकाएं तथा तंत्रिकाएं होती है। जिसके कारण ही मनुष्य का पूरा शरीर एक सुचारु ढंग से काम करता है। यदि मनुष्य की कोशिकाओं में सूजन आ रही है तो वह एक्यूट एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम होने का संकेत है।
चमकी बुखार एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी आपके शरीर में खून में वायरस की तरह शामिल होती है। जिसके बाद यह अपना प्रजनन शुरू कर देती है। जैसे-जैसे इस वायरस की संख्या आपके खून में अधिक होने लगती है तो वह धीरे-धीरे आपके मष्तिक तक पहुँच जाती है। इसके बाद आपकी कोशिकाओं में सूजन आने लग जाती है। फिर आगे चलकर आपके शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम' ख़राब होता जाता है।
इस बुखार का शिकार अधिकतर बच्चे ही होते है। इस बिमारी का बच्चों को अधिक होने का कारण यह है की बच्चों के शरीर में इम्युनिटी की मात्रा बहुत ही कम होती है। इतना ही नहीं बच्चे अपने शरीर पर पड़ रही धूप को भी नहीं सहन कर पाते है। जिसके चलते उनके शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसके चलते वह हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार हो जाते है। अधिकतर बच्चों के शरीर में तो सोडियम लग जाती है।
इस चमकी बुखार पर शोधकर्ताओं का क्या है कहना : इस बीमारी को लेकर कई शोधकर्ताओं का कहना है की यह बीमारी जहरीले पदार्थ का संबंध किसी फल के सेवन से होती है। इस समय इस बुखार का शिकार बिहार के कई बच्चे हो गए है। 2014 के आँकड़े के अनुसार, करीबन 150 मामले सामने आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, यह बीमारी अधपकी लीची खाने से होती है। यदि डॉक्टरों की बात करें तो केवल अधपकी लीची के सेवन से नहीं बल्कि तेज गर्मी के कारण भी यह बीमारी होती है।
अगर कोई व्यक्ति खाली पेट लीची का सेवन करता है तो इससे उसे व्यक्ति के शरीर में इंसेफलाइटिस की मात्रा बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। कुपोषित बच्चों को भूलकर भी खाली पेट लीची का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि लीची से निकलने वाला जहरीला पदार्थ व्यक्ति के शरीर में शुगर की मात्रा को बेहद कम कर देता है।
यदि आप इस बीमारी से बचना चाहते है तो आपको से अधिक पानी पीना चाहिए। क्योंकि इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। इसके अलावा, बच्चों को हेल्थी फ़ूड का सेवन करना चाहिए। साथ ही रात को खाना खाने के बाद मीठे का सेवन जरूर करें। तथा बच्चों को हर थोड़े समय बाद तरल पदार्थ का सेवन करवाना चाहिए।
कुछ खास बातों का जरूर रखें ख्याल : अक्सर गर्मियों में सब्जी या फल जल्दी ख़राब हो जाते है। तो आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे उस ख़राब सब्जी या फल का सेवन न करें। इसके साथ ही बच्चों को गन्दगी से दूर रखने की कोशिश करें। खाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ़ करें। अपने बच्चों के नाख़ून को बढ़ने न दें। तेज धूप में बहार जाने से अपने बच्चों को रोके।
ओड़ीशा मे भी जारी हुआ चमकी बुखार का अलर्ट

एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम क्या होता है?

आखिर क्या है चमकी बुखार

आखिर बच्चे ही क्यों होते है इस चमकी बुखार का शिकार

आखिर क्यों लीची खाने से होता है चमकी बुखार

चमकी बुखार से आखिर कैसे बचा जाए

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