माँ कालरात्रि की पूजा, काला रंग और शक्तिशाली मंत्र का महत्व!

Maa Kalaratri Navratri Day 7: नवरात्रि का सातवाँ दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना को समर्पित होता है। मां कालरात्रि का रूप भयंकर अवश्य है, परंतु वे सदैव अपने भक्तों को शुभ फल और सुरक्षा का आशीर्वाद देती हैं। ऐसा विश्वास है कि उनकी पूजा करने से जीवन से भय, शत्रु, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएँ समाप्त होती हैं। इस दिन काला रंग धारण करना शुभ माना जाता है क्योंकि यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करते हुए व्यक्ति को साहस और आत्मबल प्रदान करता है। मां कालरात्रि की आराधना से साधक को असाधारण ऊर्जा, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
माँ कालरात्रि की पूजा क्यों की जाती है?
Navratri Day 7: मां कालरात्रि को नवरात्रि का सबसे भयंकर और शक्तिशाली रूप माना जाता है। वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और जीवन से भय, नकारात्मकता व शत्रुओं का नाश करती हैं। उनकी पूजा से साहस, सुरक्षा और शुभता मिलती है।
माँ काली की सातवें दिन पूजा कैसे करें?
- प्रातः स्नान कर पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र पर गंध, अक्षत, लाल व नीले फूल अर्पित करें।
- गुड़ का भोग लगाए क्योंकि यह मां को प्रिय है।
- धूप-दीप जलाकर प्रार्थना करें से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- रात में भी दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
नवरात्रि के सातवें दिन क्या करें?
- इस दिन साधक को मां कालरात्रि की पूजा के साथ-साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
- अपने घर और कार्यस्थल पर दीप प्रज्वलित करें ताकि नकारात्मकता दूर हो।
- जरूरतमंदों को गुड़ या काले वस्त्र दान करना शुभ होता है।
नवरात्रि में सातवें दिन काले रंग का महत्व
सातवें दिन का रंग काला माना गया है। काला रंग शक्ति, रहस्य और नकारात्मकता को अवशोषित कर सकारात्मक ऊर्जा में बदलने का प्रतीक होता है। इस दिन काला पहनने से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
मां कालरात्रि का शक्तिशाली मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से भय दूर होता है और जीवन में साहस का संचार होता है।
मां कालरात्रि की आरती
जय काली कल्याणी, माता जगत सयानी।
हरिणे महिषासुर मर्दिनि, जय जय अंबे भवानी॥
कर में खड्ग खप्पर, गले में मुण्डमाला।
जय जय हे महाकाली, जय महाशक्ति वाला॥
संसार की भवानी, दुख हर ले भवानी।
सुख संपत्ति की दायिनी, जय जय अम्बे भवानी॥
जय काली कल्याणी, माता जगत सयानी।
हरिणे महिषासुर मर्दिनि, जय जय अंबे भवानी॥
नोट:
यह लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास को आहत करना नहीं है, बल्कि केवल सांस्कृतिक और धार्मिक ज्ञान को साझा करना है।
ऐसी ही रोचक जानकारी पाने के लिए पढ़ें:
मां शैलपुत्री पूजा (नवरात्रि पहला दिन)
मां ब्रह्मचारिणी पूजा (नवरात्रि दूसरा दिन)
मां चंद्रघंटा पूजा विधि (नवरात्रि तीसरा दिन)
मां कुष्मांडा पूजा विधि (नवरात्रि चौथा दिन)
मां स्कंदमाता पूजा विधि (नवरात्रि पांचवां दिन)
मां कात्यायनी की पूजा (नवरात्रि छठा दिन)
Click to read the full article
No tags available for this post.