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माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व और लाभ!

By Rajni Editor | September 29, 2025
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Maa Siddhidatri Navratri Day 9: माँ सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नवां स्वरूप हैं। इनके चार हाथ होते हैं जिनमें कमल, गदा, शंख और चक्र होता है। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। देवी भागवत के अनुसार, भगवान शिव ने भी इन्हीं की आराधना कर अर्धनारीश्वर रूप की प्राप्ति की थी।

 नवमी व्रत के क्या नियम है? (Maa Siddhidatri Vart Niyam)

  1. सबसे पहले प्रातः स्नान करके घर और पूजा स्थल को साफ़ करें।
  2. मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  3. लाल फूल, धूप, दीप और नैवेद्य माँ सिद्धिदात्री को अर्पित करें।
  4. कन्या पूजन का विशेष महत्व है, 9 कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लें।
  5. व्रतधारी दिनभर सात्विक आहार का पालन करें और माँ सिद्धिदात्री का ध्यान करते रहें।

नवरात्रि पूजा कैसे करें संपन्न?

  • नवमी तिथि को पूजा के बाद हवन करें।
  • कलश और देवी की मूर्ति/चित्र का विसर्जन विधिपूर्वक से ही करें।
  • अंत में माता रानी से आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन करें।

माँ सिद्धिदात्री पूजा के क्या लाभ है? (Maa Siddhidatri Puja Ke Labh)

  • माँ की कृपा से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  • भक्त को अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ प्राप्त होती हैं।
  • जीवन में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

माँ सिद्धिदात्री मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

इस मंत्र का जाप नवमी के दिन करने से सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

माँ सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Aarti)

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,

तेरी पूजा में तो न कोई विधि है

तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तुम सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उसके रहे न अधूरे!!

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!

नोट:

यह लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास को आहत करना नहीं है, बल्कि केवल सांस्कृतिक और धार्मिक ज्ञान को साझा करना है।

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