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नवरात्रि अष्टमी: महागौरी पूजन और कन्या भोज का महत्व!

By Rajni Editor | September 28, 2025
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Maa Mahagauri Navratri Day 8 : नवरात्रि का आठवां दिन माता महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु कन्या पूजन और कंजक भोज का विशेष आयोजन करते हैं। मान्यता यह भी है कि महागौरी की पूजा से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और साधक को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। आइए जानें अष्टमी पर कन्या पूजन, महागौरी पूजन विधि, इस दिन के रंग, भोजन और विशेष अनुष्ठानों का महत्व।


महागौरी पूजन कैसे करें? (Maa Gauri ki Puja Kaise karein?)

  • स्नान के बाद घर के पूजा स्थल को साफ करें।
  • माता महागौरी की प्रतिमा/चित्र पर गंगाजल छिड़कें।
  • सफेद पुष्प, अक्षत, सिंदूर और विशेषकर सफेद वस्त्र अर्पित करें।
  • नारियल, हलवा-पूरी, सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
  • अंत में आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

नवरात्रि के आठवें दिन का रंग और भोजन

  • रंग: अष्टमी का रंग गुलाबी (Pink) माना जाता है, जो प्रेम, शांति और सामंजस्य का प्रतीक है।
  • भोजन: इस दिन हलवा-पूरी, चना, नारियल, और मीठे पकवान अर्पित किए जाते हैं। कन्याओं को भी यही भोजन खिलाना शुभ माना जाता है।

अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व

Navratri Day 8: अष्टमी तिथि पर 2 से 10 साल तक की कन्याओं को माता दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। कन्याओं को भोजन कराना, चरण धोना और उन्हें वस्त्र/उपहार देना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को सुख, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देती हैं।

कंजक पूजन में क्या अर्पित करें

  • कन्याओं के चरण धोकर उन्हें तिलक लगाएं।
  • चुनरी या रुमाल, चूड़ी, बिंदी, काजल या पेंसिल जैसी उपयोगी वस्तुएं दें।
  • भोजन में हलवा, पूरी और चना परोसें।
  • दक्षिणा और फल अर्पित करें।

आंतरिक शांति के लिए आठवें दिन के अनुष्ठान

  • माता महागौरी के मंत्र का 108 बार जप करें।
  • सफेद वस्त्र पहनकर ध्यान करें।
  • कन्या पूजन और ब्राह्मण भोज से मन को सुकून और आत्मिक शांति मिलती है।
  • गुलाबी पुष्प अर्पण करने से हृदय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

महागौरी का मंत्र जपें


ॐ देवी महागौर्यै नमः।

माँ महागौरी की आरती

ॐ जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महा माया॥

चंद्र जैसी कांति महागौरी।
सोहे श्रंगार किए भव्य भूरी॥

कानन कुंडल सोहे गलमाला।
वर्ण अत्यंत सोहे नयन काला॥

कर में त्रिशूल तथा वरमुद्रा।
शुभ्र वस्त्र तन अद्भुत सुधा॥

देवी महागौरी सुखदायी।
सद्भावना से जो कोई ध्यायी॥

रिद्धि सिद्धि दाता सुखकारी।
महागौरी माँ दीन दुःख हारी॥

चतुर्भुज वाहन वृषराज सुहावे।
देखत ही सुख सब मन पावे॥

पूजा अष्टमी को जो नर कोई।
निश्चय ही माँ कृपा वह पावे॥

ॐ जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महा माया॥

नोट:

यह लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास को आहत करना नहीं है, बल्कि केवल सांस्कृतिक और धार्मिक ज्ञान को साझा करना है।

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