नवरात्रि दिन 5: माँ स्कंदमाता - साहस और संतान सुख की दात्री!

Navratri day 5 Maa Skandamata : नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की जननी हैं और इन्हें माँ दुर्गा का मातृत्व स्वरूप भी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में शांति व समृद्धि भी आती है।
माँ स्कंदमाता की पूजा क्यों की जाती है?
- माँ स्कंदमाता, करुणा और मातृत्व की प्रतीक हैं।
- संतान सुख की इच्छा रखने वाले भक्त विशेष श्रद्धा से पूजा करते हैं।
- मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा से बुद्धि, धर्म, वैराग्य और समृद्धि मिलती है।
- यह पूजा शिशु व गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ व फलदायी मानी जाती है।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि (Navratri day 5 Maa Skandamata Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान कर घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
- माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पीले या सुनहरे वस्त्र अर्पित करें।
- पीले फूल (विशेषकर गेंदे के फूल) चढ़ाएँ।
- धूप, दीप, रोली, चावल और नैवेद्य अर्पित करें।
- दूध से बने भोग का विशेष महत्व होता है।
- माता के मन्त्र और आरती का पाठ करें।
पांचवें दिन का रंग और उसका महत्व क्या है?
- पाँचवे दिन का रंग है पीला (Yellow)
- पीला रंग ज्ञान, शांति, ऊर्जा और खुशहाली का प्रतीक है।
- इस रंग के वस्त्र धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- भक्त पीले पुष्प और पीले प्रसाद से माँ की पूजा करते हैं।
संतान प्राप्ति का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?
- माँ स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से संतान सुख के लिए की जाती है।
- प्रतिदिन “ॐ स्कन्दमातर्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- संतानहीन दंपत्ति दूध और केले का भोग लगाकर माता को अर्पित करें।
- श्रद्धा और भक्ति से माँ स्कंदमाता की आराधना करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है।
माँ स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होता है?
- संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा।
- ज्ञान, धर्म और वैराग्य की प्राप्ति।
- मानसिक शांति और पारिवारिक सुख।
- रोग-शोक और भय से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति मार्ग की प्राप्ति।
माँ स्कंदमाता का मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातर्यै नमः ॥
माँ स्कंदमाता की आरती
जय स्कंद माता जय जय जगदम्बे ।
सुख संपत्ति दाता जय जय जगदम्बे ।।
चार भुजा में कमल और शिशु को धारे ।
सिंह पर विराजे दुष्ट दलन हमारे ।।
गगन की प्रभा समान रूप तुम्हारा ।
कान्ति से जगमगै त्रिभुवन सारा ।।
कृपा करो हे माँ, अपनी शरण में लो ।
भक्त की रक्षा करो, दुख हरन में लो ।।
जय स्कंद माता जय जय जगदम्बे ।
सुख संपत्ति दाता जय जय जगदम्बे ।।
नोट:
यह लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास को आहत करना नहीं है, बल्कि केवल सांस्कृतिक और धार्मिक ज्ञान को साझा करना है।
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