Bihar Elections 2025: NDA की तैयारी पूरी, RJD में सीटों और रणनीति को लेकर बढ़ा सियासी तनाव!

2025 का बिहार विधानसभा चुनाव अब समीप आ गया है और राजनीतिक हलचल गहरी होने लग गई है। मुख्य घटनाएँ की बात करें तो सीट बंटवारा (seat sharing) के मसले पर विवाद, विपक्षी गठबंधन की रणनीति, एवं विवादित “land for job” मामला आदि चुनाव के समीकरणों को बदल सकते हैं।
NDA ने सीटों का बंटवारा तय किया
- NDA ने बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारा औपचारिक रूप से तय कर लिया है।
- इस बंटवारे के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड प्रत्येक 101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
- इसके अलावा, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 29 सीटें मिली हैं, जबकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 6-6 पदों की जिम्मेदारी दी गई है।
- बीजेपी ने अपनी केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक के बाद यह फैसला लिया और रणनीति को अंतिम रूप दिया।
विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे पर खींचतान
- जबकि NDA ने बंटवारा तय कर लिया है, विपक्षी “महागठबंधन” के साझेदार अभी भी सीट वितरण पर सहमति नहीं कर पाए हैं।
- राष्ट्रीय जनता दल (RJD) तेजस्वी यादव नेतृत्व में है और कांग्रेस के बीच विशेष रूप से 5 सीटों को लेकर आज दिल्ली में अंतिम बातचीत होनी है।
- VIP (विकासशील इंसान पार्टी) के नेता मुकेश साहनी भी दिल्ली में मौजूद हैं और उन्होंने अपनी मांगें रखी हैं।
- राष्ट्रीय जनता दल नेताओं ने VIP पर “विश्वास की कमी” (trust deficit) होने की बात कही है, कि पूर्व व सामूहिक स्थिति में भागीदारी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
- कांग्रेस की तरफ से यह बात सामने आई है कि वे 60 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं।
- RJD के नेता चंद्रहास चौपाल ने कांग्रेस को तीखा अहम् जवाब देते हुए कहा कि क्या “हारने के लिए 76 सीटें दें?” इस तरह की टिप्पणी गठबंधन में दरार की ओर एक बड़ा संकेत है।
Land for Job मामला
RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी दिल्ली आ पहुंचे हैं, क्योंकि उन्हें “land for job” मामले की सुनवाई के लिए उपस्थित होना है। इस कारण उनकी दिल्ली यात्रा राजनीतिक और कानूनी दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस मामले से विपक्षी गठबंधन के भीतर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि शीर्ष नेतृत्व कानूनी सवालों से जूझ रहा है।
तेजस्वी यादव की प्रमुख चुनावी घोषणाएँ और प्रतिक्रियाएँ
तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया है कि यदि उनकी सरकार बनेगी, तो हर परिवार को एक सरकारी नौकरी मिलेगी। इसके तहत कहा गया है कि सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर एक नया कानून बनाया जाएगा और 20 महीनों में इस योजना को लागू किया जाएगा।
यह घोषणा विवादित भी रही तो वही कुछ आलोचकों ने इसे “चुनावी जुमला” कहा है। NDA ने इस वादे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह अवास्तविक है, और उन्होंने इसे मजाकिया स्वर में लिया है। उदाहरण के लिए यह पूछा गया कि क्या मंगल या चंद्रमा पर भव्य योजनाएं भी दी जाएँगी। राघोपुर (तेजस्वी का गढ़) में लोग इस वादे को अधिकांशतः आकर्षक तो मानते हैं, लेकिन कई इसे व्यवहार्य नहीं मानते।
RJD परिवार में तनाव
- RJD के भीतर एक और राजनीतिक ड्रामा चल रहा है। तेज प्रताप यादव (लालू के बड़े बेटे) ने सोशल मीडिया पर अपने भाई तेजस्वी यादव को unfollow कर दिया है।
- इसके साथ ही, तेज प्रताप ने महुआ निर्वाचन क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा भी की है।
- यह कदम पार्टी की अंदरूनी अनबन की ओर इशारा करता है, और पार्टी की छवि पर भी असर डाल सकता है।
नतीजा
NDA गठबंधन ने पहले ही अपना चुनावी पाँव जमाया है और विरोधी गठबंधन पर दबाव है कि वे जल्दी से सीट का बंटवारा तय करें। विपक्षी गठबंधन के भीतर सहमति बनाना आसान नहीं दिख रहा है। सीट बंटवारे को लेकर मतभेद जारी हैं, जबकि समय लगातार निकलता जा रहा है।
तेजस्वी के द्वारा किए गए वादे चुनावी एजेंडे का मुख्य केंद्र बन गया है, इसे जनता का समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन आलोचनाएँ भी जारी हैं। साथ ही, RJD के भीतर सत्ता संघर्ष और निजी मतभेद चुनावी माहौल में और तनाव जोड़ रहे हैं।
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