SEARCH
Search Articles

Search Articles

Find the latest news and articles

Searching articles...

Dussehra : दशहरा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व!

By Rajni Editor | October 02, 2025
Featured Image

भारत त्योहारों की भूमि है, और यहाँ हर पर्व के पीछे छुपी होती है कोई न कोई गहरी सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कहानी। दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है यह एक ऐसा पर्व है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। 

लेकिन क्या हम वाकई जानते हैं कि इस पर्व का महत्व केवल रावण के पुतले जलाने तक सीमित नहीं है?

इस ब्लॉग में हम दशहरे के धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पक्षों का गहराई से विश्लेषण करेंगे।

दशहरा: नाम का अर्थ और महत्व

"दशहरा" शब्द संस्कृत के "दश" (दस) और "हरा" (हरण करना - यानी नष्ट करना) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है दस बुराइयों का नाश। इन दस बुराइयों में शामिल है, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ और अत्याचार।

धार्मिक कथा: राम और रावण की युद्धगाथा

दशहरे की सबसे प्रमुख और प्रचलित कथा रामायण से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने इसी दिन लंका के राजा रावण का वध किया था और माता सीता को रावण की कैद से मुक्त करवाया था।

यह युद्ध धर्म और अधर्म के बीच था, और विजय हुई सत्य और नैतिकता की और इससे हमें यह संदेश मिलता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत सत्य की ही होती है।

नवरात्रि और दशहरा का संबंध

दशहरा, नवरात्रि के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा की उपासना और आराधना के लिए माने जाते हैं। दशमी तिथि को देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए दक्षिण भारत, बंगाल और पूर्वी भारत में दशहरे को "विजयादशमी" के रूप में मनाया जाता है।

इससे हमें यह संदेश मिलता है कि यह पर्व स्त्री-शक्ति (नारीशक्ति) की विजय का प्रतीक भी है।

ऐतिहासिक परंपराएं और सांस्कृतिक आयोजन

  • उत्तर भारत में दशहरे पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जहाँ रामायण की कथा का मंचन किया जाता है।
  • शाम को रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई के अंत का प्रतीक हैं।
  • महाराष्ट्र में लोग एक-दूसरे को "अपट्या के पत्ते" (सोना) देकर शुभकामनाएं देते हैं।
  • बंगाल में यह दिन दुर्गा विसर्जन के रूप में भी मनाया जाता है।

दशहरा और जीवन दर्शन

दशहरा केवल एक पर्व नहीं है बल्कि यह एक जीवन-दर्शन भी है:-

  • जीवन में सत्य, संयम और धैर्य की जीत होती है।
  • हमें अपने अंदर की बुराइयों (जैसे अहंकार, क्रोध, लोभ) को पहचान कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए।
  • यह पर्व हमें बताता है कि अच्छाई को अपनाने में ही सच्चा सुख और शांति है।

आधुनिक संदर्भ में दशहरे का महत्व

आज के समय में जब समाज में नैतिकता और मूल्यों का पतन होता दिख रहा है, वही दशहरे का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। आज का रावण भ्रष्टाचार, हिंसा, नफरत, असहिष्णुता और स्वार्थ के रूप में हमारे समाज में मौजूद है इसलिए हमें जरूरत है अपने अंदर के राम को जगाने की।

Click to read the full article

No tags available for this post.

Add Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *