Karva Chauth: करवा चौथ क्यों मनाया जाता है?

करवा चौथ हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत माना जाता है जो विशेष रूप से उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चंद्र दर्शन तक निर्जल (ना खाना, ना पानी) व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की सुरक्षा की कामना करती हैं।
‘करवा’ का अर्थ है मिट्टी या धातु का छोटा कलश (जल पात्र) और ‘चौथ’ का अर्थ है चतुर्थी तिथि, इसलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है।
इस व्रत का धार्मिक और भावनात्मक महत्व दोनों ही अत्यंत गहरा है, यह न केवल पति-पत्नी के स्नेह का प्रतीक है, बल्कि पारिवारिक बंधन, श्रद्धा और विश्वास की एक सुंदर अभिव्यक्ति को भी दर्शाता है।
यह पर्व शरद पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जिसमें चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाता है।
क्या अविवाहित लड़कियाँ करवा चौथ रखती हैं?
- पारंपरिक रूप से यह व्रत विवाहित महिलाओं ही रखती हैं।
- लेकिन आधुनिक समय में, कुछ अविवाहित महिलाएँ भी इस व्रत को अब रखने लग गई है, विशेष रूप से यह कि वे अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर रही होती है।
- किन्तु, पारंपरिक नियमों के अनुसार, केंद्रित व्रत, निर्जल व्रत आदि जैसी प्रतिबंधों को सामान्यतः विवाहित महिलाओं के लिए ही माना जाता है।
- यदि कोई अविवाहित लड़की व्रत करना चाहे, तो वह पारंपरिक नियमों का पालन करते हुए (जैसे निर्जल व्रत न करना, आदि) कर सकती है। वैसे तो यह यह परंपरा उस परंपरा का मूल स्वरूप नहीं है।
करवा चौथ क्यों चंद्रमा से जुड़ा है?
व्रत का अंत चन्द्रमा को देखकर किया जाता है इसलिए महिलाएं चाँद उदय होने पर उसे अर्घ्य दिया जाता है और उसी समय व्रत को खोला जाता है।
चन्द्रमा की आराधना करने की परंपरा इस विश्वास पर आधारित है कि चन्द्र देव मन और आत्मा को शांति देते हैं और वे जीवन में सौभाग्य व दीर्घायु की कामना को सुनते हैं। इसलिए, चांद उदय होने के बाद उसे देखकर, उसके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। यह इस व्रत की अनिवार्य क्रिया है।
करवा चौथ पर किस देवता की पूजा होती है?
करवा चौथ पूजा में मुख्यतः चंद्र देव यानी चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त, माता पार्वती, शिव, गणेश, और कभी-कभी कार्थिकेय की भी पूजा की जाती है।
व्रत कथा (व्रत महात्म्य) सुनने के बाद इन देवताओं को प्रसाद, फूल, दीप आदि से इन सभी की अराधना की जाती है। कुछ प्रचलित मंत्र और स्तुति इस प्रकार हैं जो आप पूजा के समय इस्तेमाल कर सकते हैं :-
“मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।”
सरगी क्या है?
सरगी वह भोजन है जो व्रत शुरू होने से पहले, यानी सूर्योदय से पहले, वर्त रख रही महिला को दिया जाता है। यह भोजन आमतौर पर सास द्वारा बहू को दिया जाता है।
सरगी थाली में आमतौर पर ये फल, सूखे मेवे, मिठाई, नारियल, हलवाई चीजें, परांठा आदि रखा जाता है। इसका उद्देश्य व्रत करने वाली महिला को दिन भर ऊर्जा देने का होता है ताकि वह निर्जल व्रत (ना खाना-ना पानी) शांतिपूर्वक रख पाएं।
किस शहर में कब निकलेगा करवा चौथ पर चांद?
दिल्ली रात 08:13 बजे
मुंबई रात 08:55 बजे
कोलकाता सायंकाल 07:42 बजे
चेन्नई रात 08:38 बजे
देहरादून रात 08:05 बजे
चंडीगढ़ रात 08:09 बजे
जयपुर रात 08:23 बजे
पटना रात 07:48 बजे
जम्मू रात 08:11 बजे
गांधीनगर रात 08:46 बजे
अहमदाबाद रात 08:47 बजे
शिमला रात 08:06 बजे
भोपाल रात 08:26 बजे
लखनऊ रात 08:02 बजे
कानपुर रात 08:06 बजे
गोरखपुर सायंकाल 07:52 बजे
प्रयागराज रात 08:02 बजे
नोएडा रात 08:12 बजे
गुरुग्राम रात 08:14 बजे
हरिद्वार रात 08:05 बजे
इंदौर रात 08:34 बजे
भुवनेश्वर सायंकाल 07:58 बजे
रायपुर रात 08:01 बजे
नोट:
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। hindi.flypped इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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