longwa Village : क्या आपने कभी ऐसा सुना है की कोई व्यक्ति खाते किसी देश में तथा वह निवास किसी दूसरे देश में करता है। आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के बारें में विस्तार से बताने वाले है जो खाना तो भारत में खाता है लेकिन रहता वह म्यांमार में है। आप इस बात को सुनकर एक बार की जरूर हैरान हो गए होंगे। की आखिर ऐसा हो कैसे सकता है। की कोई व्यक्ति खाना किसी देश में खाए। और निवास किस दूसरे देश में करें। लेकिन यह बात सही है। आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारें में बताने जा रहे है वह भारत की सीमा पर स्थित लोंगवा गांव में रहता है इस गाँव में अधिकतर आदिवासी निवास करते है। या एक ऐसा गाँव है जो आधा तो भारत में तथा आधा ही म्यांमार स्थित है। इतना ही इस गाँव में बहुत समय से एक अजीब सी प्रथा चलती आ रही है। इस गाँव में दुश्मनों के सर काट दिए जाते है। इस प्रथा पर वर्ष 1940 में सम्पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई थी।
इस गाँव मे अधिकतर आदिवासी करते है निवास
longwa Village for Man : आदिवसियों से भरा यह गाँव नागालैंड के मोन जिले के जंगलों में मध्य म्यांमार सीमा से मिला हुआ है। इस गाँव में अधिकतर कोन्याक आदिवासी निवास करते है। कहा जाता है की या आदिवासी काफी अधिक खूंखार होते है। इतना ही नहीं इस गाँव जमीनों तथा अपनी कबीले की सत्ता पर कब्जे करने के लिए अन्य गाँव से लड़ाई करते है। ताकि उनके कार्य में किसी भी प्रकार से कोई दखलंदाजी न कर सके।
वर्ष 1940 में लगी थी सर काटने वाली प्रथा पर सम्पूर्ण रूप से रोक
यह एक ऐसा गाँव था जिसमें दुश्मनों के सिर काट दिए जाते थे। क्योंकि उस समय इस गाँव के अनुसार, दुश्मन की हत्या करना या फिर उसका सिर काट देने को एक यादगार घटना के रूप में देखा जाता था। इतना ही नहीं इस प्रकार की घटना को इस गाँव के आदिवासी लोग एक सफलता के रूप में देखते थे। साथ अपनी ख़ुशी जाहिर करने हेतु इस गाँव के सभी आदिवासी लोग अपने चेहरे पर एक टैटू को बनवाया करते थे। लेकिन इस प्रथा को वर्ष 1940 में पूरी तरीके से रोक दिया गया था। जिसके बाद इस प्रकार की कोई भी घटना इस गाँव में दुबारा देखने को नहीं मिली है।
इस गाँव के लोगो के पास है दोहरी नागरिकता
आदिवासियों का यह गाँव वर्ष 1970-71 में लोंगवा ग्राम के भारत के बॉर्डर से सटा हुआ है। अब आप सोच रहें होंगे की यहाँ के लोगों के पास दोहरी नागरिकता है। हम आपको बता दें की इस गाँव भारत-म्यांमार सीमा से जुड़ा हुआ है। जिसकी वजह से यहाँ के लोगों को दोनों देशों यानी की भारत और म्यांमार से नागरिकता प्राप्त है।
दोनों देशों की नागरिकता प्राप्त होने के चलते उन्हें म्यांमार से भारत तथा भारत से म्यांमार जाने के लिए किसी भी प्रकार के वीजा पासपोर्ट की कोई भी जरूरत नहीं है। वह बिना वीजा के एक देश से दूसरे देश बिना किसी परेशानी के आ जा सकते है।
लेकिन यह गाँव अभी आधुनिकता से है दूर
इस गाँव में स्थित सभी झोंपड़ियाँ बांस से बनी हुई है। यह झोंपड़ियाँ काफी अधिक बड़ी होती है। साथ ही साथ इनमें कई भाग शामिल होते है। जैसे की सोई, खाना खाने, सोने और भंडारण आदि। फिलहाल यह गाँव आधुनिक सभ्यता से कोसो दूर है।