यह 7 कृष्ण मंदिर जो जन्माष्टमी पर रंग देंगे आपको कृष्ण रंग में
जन्माष्टमी पर दर्शन के लिए श्रीकृष्ण के प्रसिद्ध मंदिरों का महत्व
भारत को अगर त्यौहारों का देश कहे तो ये गलत नहीं होगा। यहाँ हर त्यौहार अपनी एक अलग उमंग लेकर आता हैं इन्ही में से एक त्यौहार हैं जन्माष्टमी। हम सभी जानते हैं कि जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की ख़ुशी में मनाया जाता हैं। इस दिन देश का हर मंदिर खूबसूरत और भव्य तरीके से सजा होता हैं।
वर्ष 2019 में 23-24 अगस्त को दुनियाभर में जन्माष्टमी का त्यौहार धूमधाम और हर्षोउल्लास से मनाया जाएगा। इस पर्व को मनाने का सबका अपना अलग तरीका है कुछ लोग घर पर ही झांकी और मंदिर सजाते हैं और अपने प्रिय भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं तो वहीं भक्त देश में मौजूद मशहूर श्रीकृष्ण मंदिरों में जाकर उनके दर्शन करना पसंद करते हैं।
आज हम आपको देश में बने हुए श्रीकृष्ण के सात सर्वश्रेष्ठ मंदिर (Best 7 Temples of Lord Krishna) के बारे में बताने जा रहे है जिनके आप जन्माष्टमी पर दर्शन करने जा सकते है।
भगवान श्रीकृष्ण के 7 सर्वश्रेष्ठ मंदिर (Best 7 Temples of Lord Krishna)
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
यह भगवान कृष्ण का सबसे लोकप्रिय मंदिर है जो गुजरात में स्थित है। इस मंदिर को 'जगत मंदिर' भी कहा जाता हैं। बहुत कम ही लोगों को यह पता हैं कि द्वारकाधीश मंदिर चार धाम यात्रा का भी एक प्रमुख हिस्सा है। 43 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है द्वारकाधीश मंदिर। जन्माष्टमी के दिन यहाँ का माहौल उमंग भरा होता है जो दिल को सुकून देता हैं। इस समय पूरे मंदिर को खूबसूरत फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। भगवान का श्रृंगार अत्यंत मनमोहक होता हैं।
श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी
श्रीकृष्ण का यह मंदिर कर्नाटक राज्य में स्थित है और वहां के मशहूर टूरिस्ट जगहों में से एक हैं। इस प्रसिद्घ मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान की पूजा खिड़की के नौ छिद्रो में से ही की जाती है। वैसे तो यहां सालभर ही पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है लेकिन जन्माष्टमी के अवसर पर यहां की शोभा देखते ही बनती है।
इस दिन पूरे मंदिर को फूलो और रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया जाता है कि ये इस सुन्दर दृश्य को देखते हुए हमारी आँखें नहीं थकती हैं। जन्माष्टमी के दिन कान्हा के दर्शन करने के लिए भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है।
द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
द्वारकाधीश मंदिर को मथुरा के सबसे मशहूर मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां भगवान श्रीकृष्ण की काले रंग की प्रतिमा की पूजा की जाती है। यहां जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। द्वारिकाधीश मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है।
जन्माष्टमी पर द्वारिकाधीश की प्रतिमा का हीरे जवाहरात से श्रृंगार किया जाता हैं। इस दिन ठाकुर जी के दर्शन करने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह एकत्रित होता है और भक्तों को उनकी सिर्फ एक झलक देखने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता है।
श्री बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में ही अपना बचपन बिताया था। यहां पर उनके कई प्राचीन मंदिर हैं जिनमे से सबसे प्राचीन बांकेबिहारी मंदिर है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए आती है।
जन्माष्टमी के मद्देनजर बड़े स्तर पर तैयारियां की जाती हैं। बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन मध्य रात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म होने पर रात को लगभग 2 बजे मंगला आरती की जाती है जो साल में केवल एक बार जन्माष्टमी के मौके पर ही की जाती है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
प्रेम मंदिर, वृंदावन
कान्हा की नगरी वृन्दावन में प्रेम को समर्पित एक मंदिर है। यह मंदिर राधा-कृष्ण, राम और सीता को समर्पित एक भव्य मंदिर हैं। प्रेम मंदिर की मुख्य रचना संगमरमर के पत्थर द्वारा निर्मित है। हमेशा से यहाँ की सुंदरता भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रही हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर की खूबसूरती दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर देती हैं। यह मंदिर एक शैक्षिक स्मारक भी है जो सनातन धर्म के इतिहास को भी दर्शाता है। इस मंदिर की छटा शाम को देखते ही बनती है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर यहां खास सजावट की जाती है, जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते है।
श्रीनाथ जी मंदिर, राजस्थान
यदि कभी भी भगवान श्रीकृ्ष्ण के मुख्य मंदिरों की बात होती है तो राजस्थान के नाथद्ववार स्थित श्रीनाथजी मंदिर का ज़िक्र जरूर आता है। श्रीनाथजी मंदिर एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
यह मंदिर प्रमुख रूप से मूर्तियों के लिए जाना जाता है। कान्हा के हर मंदिर की तरह ही इस मंदिर में भी भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए भक्तों का हुजूम लगता हैं। भक्त अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए घंटों तक इंतज़ार करते हैं।
बालकृष्ण मंदिर, कर्नाटक
यदि देखा जाए तो भगवान कृष्ण के सिर्फ भारत में ही नहीं दुनियाभर में कई मंदिर मौजूद हैं और हर मंदिर का अपना ही एक महत्व और विशेषता हैं। श्रीकृष्ण के दूसरे मंदिरों में से एक हैं बालकृष्ण मंदिर। ये मंदिर कर्नाटक के हंपी में स्थित है और इस मंदिर की संरचना बेहद आकर्षक है।
यहां पर भगवान बालकृष्ण विराजमान हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, बालकृष्ण मंदिर को UNESCO द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज में भी शामिल किया जा चुका है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन यानि जन्माष्टमी के अवसर पर देश भर के मंदिरों में भीड़ देखने को मिलती हैं( Best 7 Temples of Lord Krishna)।
इस दिन कृष्ण भक्त पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ अपने इष्ट देव के नाम का जाप करते हुए उनके दर्शन की तीव्र इच्छा रखते हैं। आज हमने आपको भगवान कृष्ण के ऐसे ही प्रसिद्द मंदिरों से रूबरू कराया जहाँ आप जन्माष्टमी के अवसर पर जा सकते हैं और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
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जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के प्रसिद्ध मंदिरों से जुड़े FAQs
प्रश्न 1. जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
उत्तर: जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। वर्ष 2019 में यह त्योहार 23–24 अगस्त को मनाया गया था।
प्रश्न 2. जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की ख़ुशी में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भक्त मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन करते हैं और रात 12 बजे विशेष पूजा करते हैं।
प्रश्न 3. जन्माष्टमी पर किस मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ होती है?
उत्तर: मथुरा, वृंदावन, द्वारका और नाथद्वारा के मंदिरों में जन्माष्टमी पर देश-विदेश से लाखों भक्त आते हैं।
प्रश्न 4. भारत के सबसे प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- भारत में श्रीकृष्ण के 7 प्रमुख मंदिर हैं:
- द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
- उडुपी श्रीकृष्ण मठ, कर्नाटक
- द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
- बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन
- प्रेम मंदिर, वृंदावन
- श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा (राजस्थान)
- बालकृष्ण मंदिर, हंपी (कर्नाटक)
प्रश्न 5. द्वारकाधीश मंदिर (गुजरात) का महत्व क्या है?
उत्तर: यह चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भगवान कृष्ण के द्वारका निवास से जुड़ा माना जाता है। जन्माष्टमी पर यहां भव्य सजावट होती है।
प्रश्न 6. उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर की खासियत क्या है?
उत्तर: यहां भगवान कृष्ण की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों से की जाती है, जो इस मंदिर को अनोखा बनाता है।
प्रश्न 7. बांकेबिहारी मंदिर में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: जन्माष्टमी की रात 2 बजे मंगला आरती होती है, जो पूरे साल में सिर्फ इसी दिन की जाती है। यह मंदिर की सबसे खास परंपराओं में से एक है।
प्रश्न 8. प्रेम मंदिर, वृंदावन इतना लोकप्रिय क्यों है?
उत्तर: यह सफ़ेद संगमरमर से बना बेहद सुंदर मंदिर है। रात की लाइटिंग और झांकियाँ भक्तों को आकर्षित करती हैं। जन्माष्टमी पर यहां विशेष सजावट की जाती है।
प्रश्न 9. श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा का इतिहास क्या है?
उत्तर: यह 12वीं शताब्दी में बना कृष्ण मंदिर है जहाँ ‘श्रीनाथजी’ स्वरूप में भगवान कृष्ण की पूजा होती है। जन्माष्टमी पर यहाँ विशाल भीड़ लगती है।
प्रश्न 10. बालकृष्ण मंदिर (हंपी) का क्या महत्व है?
उत्तर: यह UNESCO विश्व धरोहर स्थल में शामिल है। यहाँ कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है।
प्रश्न 11. जन्माष्टमी पर मंदिर क्यों सजाए जाते हैं?
उत्तर: क्योंकि यह भगवान कृष्ण के जन्म का त्योहार है। मंदिरों को फूलों, रोशनी और झांकी से सजाया जाता है ताकि जन्मोत्सव उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जा सके।
प्रश्न 12. क्या जन्माष्टमी पर व्रत रखना जरूरी है?
उत्तर: जरूरी नहीं, लेकिन कई भक्त पूरे दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखते हैं और रात 12 बजे भगवान के जन्म के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं।
प्रश्न 13. जन्माष्टमी पर क्या विशेष पूजा की जाती है?
उत्तर:
- रात्रि 12 बजे भगवान का जन्माभिषेक
- विशेष श्रृंगार
- झूला झुलाना
- माखन-मिश्री का भोग
- भक्तिगीत और कीर्तन
प्रश्न 14. क्या जन्माष्टमी पर बच्चे भी झांकी बना सकते हैं?
उत्तर: हाँ, घर में श्रीकृष्ण की झांकी बनाना शुभ माना जाता है। इससे बच्चों में रचनात्मकता और धर्म के प्रति प्रेम बढ़ता है।
प्रश्न 15. क्या जन्माष्टमी पर मंदिरों में भीड़ होती है?
उत्तर: हाँ, जन्माष्टमी पर देश भर के श्रीकृष्ण मंदिरों में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
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