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भाई दूज 2025: भाई-बहन के पवित्र प्रेम और परंपरा का प्रतीक पर्व

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भाई दूज 2025: भाई-बहन के पवित्र प्रेम और परंपरा का प्रतीक पर्व

भाई दूज क्या है और क्यों मनाया जाता है?

भारत में जब Diwali (दिवाली) की रोशनी थमती है, तो उसके बाद एक ख़ास दिन आता है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है जिसको भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती हैं, भोग तैयार करती हैं, और भाई अपनी बहनों का आशीर्वाद व उपहार देते हैं। लेकिन इस उत्सव के पीछे सिर्फ प्रेम-भक्ति ही नहीं, बल्कि गहरी पौराणिक कथाएँ और सामाजिक अर्थ भी  छुपा हैं।

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

कथा 1 

माना जाता है कि बहुत समय बाद जब यमुना अपने भाई यमराज से मिलीं, तो उन्होंने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया। भोजन कराया, पूजा-अर्चना की और उनके माथे पर टीका भी लगाया। यमराज अपनी बहन के इस स्नेह से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वरदान दिया कि जिस दिन बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाएगी, उस दिन भाई को मृत्यु के भय से मुक्ति प्राप्त होगी।

कथा 2 

एक अन्य कथा के अनुसार, नरकासुर वध के बाद कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के पास लौटे। सुभद्रा ने उनका स्वागत करते हुए आरती की, टीका लगाया, और प्रसाद चढ़ाया। इसलिए यह पर्व भाई-बहन के बंधन और रक्षा और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में भी स्थापित हुआ।

भाई दूज का महत्व और संदेश

  • यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को विशेष रूप से सम्मानित करता है।
  • बहन अपने भाई की दीर्घायु व सौभाग्य की कामना करती है, और भाई रक्षा करने का वादा देता है।
  • सामाजिक रूप से यह परिवार-मिलन, आपसी प्यार-समझ और पारस्परिक सम्मान का अवसर भी है।
  • आध्यात्मिक रूप में, यह जीवन-मरण, सुरक्षा और बंधनों की स्थिरता के प्रश्नों को छूता है जैसे कि यमराज-कथा में मृत्यु के भय से मुक्ति का वादा।

भाई दूज की पूजा विधि और पारंपरिक रीतियाँ

  • इस दिन बहनें सुबह स्नान कर शुभ वस्त्र पहनती हैं।
  • भाई के माथे पर रोली, चावल, हल्दी आदि से टीका/टिलक लगती है।
  • भाई बहनों को उपहार देते हैं और बहनें भाई को उपहार देती हैं।

आज-कल जहाँ बहनों-भाइयों के रिश्ते बदल रहे हैं, वहाँ भाई दूज एक यादगार दिन है । मेल-मिलाप, दूर रहने वाले भाई-बहन के लिए यात्रा का मौका, और सोशल-मीडिया-पर शेयर किये जाने वाले प्यार-भरे पल। 

भाई दूज का संदेश: प्रेम, सुरक्षा और एकता का प्रतीक

भाई दूज का संदेश भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और एकता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि रिश्तों की असली शक्ति विश्वास और स्नेह में होती है। बहन भाई की लंबी आयु की कामना करती है, और भाई हमेशा उसकी रक्षा का वचन देता है — यही इसका मूल भाव है।

भाई दूज से जुड़े आम सवाल और उनके जवाब

प्रश्न. भाई दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है?

उत्तर. रक्षाबंधन में बहन राखी बांधती है, जबकि भाई दूज पर टीका लगाती है। दोनों ही त्योहार भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक हैं।

प्रश्न. भाई दूज को अन्य नामों से भी जाना जाता है क्या?

उत्तर. हाँ, भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे भाई बीज, भाऊ बीज या भ्रातृ द्वितीया के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न. भाई दूज पर क्या उपहार देना शुभ माना जाता है?

उत्तर. भाई अपनी बहन को मिठाई, कपड़े, गहने, या कोई यादगार गिफ्ट दे सकता है। इससे रिश्ते में प्यार और अपनापन बढ़ता है।

प्रश्न. भाई दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है?

उत्तर. रक्षाबंधन में बहन राखी बांधती है, जबकि भाई दूज में टीका लगाती है। दोनों ही पर्व भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक हैं, पर इनके रिवाज़ अलग हैं।

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