Green Crackers Allowed : दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों की अनुमति!
दिवाली से पहले राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा को लेकर फिर से एक बड़ा फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार “ग्रीन पटाखों” को सीमित रूप से मंजूरी दी है यानी पटाखे जलेंगे, लेकिन सिर्फ वे जो कम प्रदूषण फैलाते हैं।
यह फैसला एक ओर त्योहार की रौनक को बनाए रखने की कोशिश के लिए लिया गया है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण में रखने के लिए भी लिया गया है।
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस बार पटाखे सिर्फ 18 से 20 अक्टूबर तक और सीमित समयावधि (सुबह 6-7 बजे और शाम 8-10 बजे) में ही जलाए जा सकेंगे। बिक्री भी केवल अधिकृत दुकानों तक सीमित की गई।
वहीं, दिल्ली सरकार और पर्यावरण बोर्डों को निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है ताकि कोई “गैर-ग्रीन” या नकली पटाखा बाजार में न आए।
हालांकि विशेषज्ञों ने चेताया है कि ग्रीन पटाखे 30% कम प्रदूषणकारी जरूर हैं, लेकिन पूरी तरह “सुरक्षित” नहीं है। यदि जलाने वालों की संख्या अधिक हुई, तो यह अनुमति हवा की गुणवत्ता (AQI) पर खास असर नहीं डाल पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी ग्रीन पटाखों की अनुमति?
- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया कि दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों की बिक्री व फोड़ने की अनुमति दी जाए, लेकिन तीव्र सीमाओं व कड़ी शर्तों के साथ।
- यह छूट एक परीक्षणात्मक (test case) आधार पर दी गई है।
- समय सीमा: केवल दो दिनों (दिवाली से एक दिन पहले व दिवाली के दिन) सुबह 6 बजे से 7 बजे तथा शाम 8 बजे से 10 बजे तक।
समय और अवधि: ग्रीन पटाखे कब जलाए जा सकते हैं?
ग्रीन पटाखों की ऑफलाइन बिक्री केवल 18 से 20 अक्टूबर तक होगी। बिक्री सिर्फ मान्यता प्राप्त दुकानों और निर्धारित स्थानों पर होगी, जिनकी पहचान जिला कलेक्टर व पुलिस के समन्वय से की जाएगी।
ई-कॉमर्स माध्यमों द्वारा पटाखों की बिक्री निषिद्ध है, और ऐसे उत्पाद मिलने पर जब्त किए जाएंगे।
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ग्रीन पटाखों की तकनीकी जानकारी और सीमाएं
- ग्रीन पटाखों को CSIR-NEERI और सहयोगियों द्वारा विकसित किया गया है ताकि पारंपरिक पटाखों की तुलना में प्रदूषण (particulate emissions) कम हो।
- प्रयोगशाला परीक्षणों में दिखाया गया है कि ये पटाखे लगभग 30% तक कम प्रदूषण छोड़ सकते हैं
- ये पटाखे कम ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जिससे बच्चों, बुजुर्गों, रोगियों और पालतू जानवरों पर दबाव कम हो सकता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी: ग्रीन पटाखे पूरी तरह सुरक्षित नहीं
- लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ये कम हानिकारक हैं, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। उन्नत कण (ultrafine particles), गैसीय प्रदूषक (NOx, SOx आदि) अभी भी निकल सकते हैं।
- पटाखों की संख्या बहुत अधिक हो जाने पर 30% की कटौती का मामूली लाभ हवा की गिरावट और ठंडी परिस्थितियों में हवा की जकड़न (inversion) के कारण बेअसर हो सकती है।
- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि बड़े पैमाने पर पटाखों का उपयोग हो, तो समग्र प्रदूषण फिर भी उच्च बनेगा।
- विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि जागरूकता, सही अनुपालन और कड़ी नियमावली होनी चाहिए; सिर्फ “ग्रीन” टैग पर्याप्त नहीं है।
ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जानिए जनता से जुड़े अहम सवाल
प्रश्न.1. ग्रीन पटाखों को कैसे पहचाना जा सकता है?
ग्रीन पटाखों के पैकेट पर CSIR-NEERI का लोगो, QR कोड और एक यूनिक ट्रैकिंग नंबर होता है।
इनकी पहचान इसी मार्किंग से की जा सकती है। अगर किसी पटाखे पर ये चिन्ह नहीं हैं, तो वह “ग्रीन” नहीं माना जाएगा।
प्रश्न.2. अगर कोई व्यक्ति गैर-ग्रीन पटाखे जलाता है तो क्या कार्रवाई होगी?
उत्तर. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, गैर-ग्रीन या प्रतिबंधित पटाखों का उपयोग दंडनीय अपराध है।
ऐसे मामलों में पटाखे जब्त किए जा सकते हैं, और जुर्माना या कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
प्रश्न.3. क्या बच्चे या बुजुर्गों के लिए ग्रीन पटाखे सुरक्षित हैं?
उत्तर. हालांकि ग्रीन पटाखों से ध्वनि और धुआँ कम निकलता है, परंतु सांस संबंधी रोगियों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये भी जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसलिए इन्हें खुले और हवादार स्थान पर ही जलाया जाए।
प्रश्न.4. क्या ग्रीन पटाखों का उपयोग शादी या अन्य आयोजनों में भी किया जा सकता है?
उत्तर. नहीं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल दिवाली के लिए और तय समय सीमा तक लागू है।
अन्य अवसरों पर पटाखों का उपयोग अभी भी प्रतिबंधित रहेगा, जब तक नई अनुमति न मिले।
प्रश्न.5. क्या सरकार ग्रीन पटाखों की गुणवत्ता की निगरानी करेगी?
उत्तर. हाँ। दिल्ली सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन को निगरानी और सैंपल जांच की जिम्मेदारी दी गई है ताकि नकली या गैर-प्रमाणित पटाखे बाजार में न बिकें।
प्रश्न.6. क्या ग्रीन पटाखों के अलावा पर्यावरण-अनुकूल उत्सव मनाने के और तरीके हैं?
उत्तर. बिलकुल। LED दीयों, फूलों की सजावट, डिजिटल आतिशबाज़ी, और सामूहिक दीपोत्सव कार्यक्रमों से भी दिवाली का आनंद लिया जा सकता है — बिना प्रदूषण फैलाए।
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