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Green Crackers Allowed : दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों की अनुमति!

By Rajni Editor | October 16, 2025
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दिवाली से पहले राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा को लेकर फिर से एक बड़ा फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार “ग्रीन पटाखों” को सीमित रूप से मंजूरी दी है यानी पटाखे जलेंगे, लेकिन सिर्फ वे जो कम प्रदूषण फैलाते हैं। 

यह फैसला एक ओर त्योहार की रौनक को बनाए रखने की कोशिश के लिए लिया गया है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण में रखने के लिए भी लिया गया है।

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस बार पटाखे सिर्फ 18 से 20 अक्टूबर तक और सीमित समयावधि (सुबह 6-7 बजे और शाम 8-10 बजे) में ही जलाए जा सकेंगे। बिक्री भी केवल अधिकृत दुकानों तक सीमित की गई। 

वहीं, दिल्ली सरकार और पर्यावरण बोर्डों को निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है ताकि कोई “गैर-ग्रीन” या नकली पटाखा बाजार में न आए।

हालांकि विशेषज्ञों ने चेताया है कि ग्रीन पटाखे 30% कम प्रदूषणकारी जरूर हैं, लेकिन पूरी तरह “सुरक्षित” नहीं है। यदि जलाने वालों की संख्या अधिक हुई, तो यह अनुमति हवा की गुणवत्ता (AQI) पर खास असर नहीं डाल पाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

  • सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया कि दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों की बिक्री व फोड़ने की अनुमति दी जाए, लेकिन तीव्र सीमाओं व कड़ी शर्तों के साथ।
  • यह छूट एक परीक्षणात्मक (test case) आधार पर दी गई है।
  • समय सीमा: केवल दो दिनों (दिवाली से एक दिन पहले व दिवाली के दिन) सुबह 6 बजे से 7 बजे तथा शाम 8 बजे से 10 बजे तक।

बिक्री अवधि एवं स्थान


ग्रीन पटाखों की ऑफलाइन बिक्री केवल 18 से 20 अक्टूबर तक होगी। बिक्री सिर्फ मान्यता प्राप्त दुकानों और निर्धारित स्थानों पर होगी, जिनकी पहचान जिला कलेक्टर व पुलिस के समन्वय से की जाएगी।
 ई-कॉमर्स माध्यमों द्वारा पटाखों की बिक्री निषिद्ध है, और ऐसे उत्पाद मिलने पर जब्त किए जाएंगे।

ग्रीन पटाखों की तकनीकी जानकारी और सीमाएं

  • ग्रीन पटाखों को CSIR-NEERI और सहयोगियों द्वारा विकसित किया गया है ताकि पारंपरिक पटाखों की तुलना में प्रदूषण (particulate emissions) कम हो।
  • प्रयोगशाला परीक्षणों में दिखाया गया है कि ये पटाखे लगभग 30% तक कम प्रदूषण छोड़ सकते हैं।
  • ये पटाखे कम ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जिससे बच्चों, बुजुर्गों, रोगियों और पालतू जानवरों पर दबाव कम हो सकता है।
  • लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ये कम हानिकारक हैं, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। उन्नत कण (ultrafine particles), गैसीय प्रदूषक (NOx, SOx आदि) अभी भी निकल सकते हैं।
  • पटाखों की संख्या बहुत अधिक हो जाने पर 30% की कटौती का मामूली लाभ हवा की गिरावट और ठंडी परिस्थितियों में हवा की जकड़न (inversion) के कारण बेअसर हो सकती है।
  • विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि बड़े पैमाने पर पटाखों का उपयोग हो, तो समग्र प्रदूषण फिर भी उच्च बनेगा।
  • विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि जागरूकता, सही अनुपालन और कड़ी नियमावली होनी चाहिए; सिर्फ “ग्रीन” टैग पर्याप्त नहीं है।

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