बिलासपुर में हादसे का ख़ौफ़नाक मंज़र, 11 की मौत और 20 घायल!
4 नवंबर 2025 की शाम करीब 4 बजे, Bilaspur Junction (छत्तीसगढ़) के निकट कदम-दर-कदम मौत का मंज़र देखने को मिला है, जब एक पैसेंजर मेमू ट्रेन (MEMU) ने ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से पीछे से टक्कर मार दी।
शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रेन ने लाल सिग्नल को छोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की, और खड़ी मालगाड़ी के पिछले हिस्से से जा कर टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि ट्रेन के एक डिब्बे ने सीधा मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गई।
घायलों और मृतकों की संख्या
घटना में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 20 घायलों का इलाज जारी है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में मृतकों की संख्या कम-ज्यादा बताई गई थी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की पुष्टि इसी संख्या के करीब में की है।
राहत-बचाव कार्य और रेलवे की पहला कदम
घटना के तुरंत बाद, मध्य रेलवे के दक्षिण-पूर्व में (South East Central Railway) तथा स्थानीय प्रशासन ने राहत-उपाय शुरू कर दिया। घायल यात्रियों को जल्द-से-जल्द नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जिससे परिजन अपनी जानकारी प्राप्त कर सकें और लूट-पाट व अन्य डिस्टर्बेंस को तत्काल नियंत्रित किया जा सके।
संभावित कारण और जांच
प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि ट्रेन चालक ने रेड सिग्नल को ओवरशूट किया हो सकता है जिस वजह से ट्रेन ने सिग्नल को नजरअंदाज कर दिया और आगे बढ़ गई।
साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि कहीं सिग्नलिंग प्रणाली या ब्रेकिंग सिस्टम में कोई तकनीकी खामी तो नहीं थी, जिस वजह से इस तरह की दुर्घटनाओं में मानवीय त्रुटि के साथ-साथ तकनीकी कारणों का भी हाथ हो सकता है।
हादसे की कुछ डरावनी सच्चाइयाँ
- मलबे के बीच एक पाँच वर्ष से कम उम्र का बच्चा जीवित मिला, लेकिन उसके माता-पिता अभी तक नहीं मिले।
- वहीं, हादसे की नाजुक स्थिति का फ़ायदा उठाते कुछ असामाजिक तत्व लूट-पाट में भी उतर आए।
- घायलों व मृतकों के जेवरात, मोबाइल, बैग फरार पाए गए जिससे परिजनों में आक्रोश है।
प्रशासन का रुख और मुआवजा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हादसे पर गहरा शोक प्रकट किया है और तुरंत राहत कार्यों का निर्देश दिया है।
भारतीय रेल ने मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को ₹5 लाख, तथा मामूली घायलों को ₹1 लाख मुआवजे का ऐलान कर दिया है।
चुनौतियाँ
दुर्घटना स्थल पर रेल परिचालन बाधित हुआ, कई ट्रेनों को रद्द या मार्ग बदलना पड़ा। पूरी सिग्नलिंग प्रणाली एवं ब्रेकिंग तंत्र की जाँच अभी जारी है।
यह हादसा एक बार फिर यह सवाल उठा रहा है कि हमारी रेल सुरक्षा प्रणालियाँ कितनी सक्षम हैं, मानव त्रुटि, तकनीकी खामी या नियंत्रण-भंग किसका दुष्प्रभाव रहा?
प्रभावित यात्रियों और उनके परिवारों को मदद मिल रही है, लेकिन ये भी जरूरी है कि शुरुआती राहत के बाद उनका इलाज और मानसिक सहारा जारी रहे, ताकि कोई पीड़ित पीछे न रह जाए।
एक सवाल सबके मन में है
यह दुर्घटना सिर्फ एक दुखद घटनाक्रम नहीं बल्कि संकेत है कि जहाँ तक रेल-यात्रा की बात है, एक लापरवाही पूरी ज़िंदगी बदल सकती है। प्रमुख कारण चाहे सिग्नल ओवरशूट हो या तकनीकी खामी, नुकसान वहीः इंसानों की मौत, परिवारों का टूटना। अब सवाल यह है कि इस घटना से क्या सीख ली जाएगी?
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