माँ ब्रह्मचारिणी पूजा: नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व और उपाय

Navratri Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी देवी ज्ञान और तपस्या की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं। जो लोग मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार आदि की प्राप्ति होती है। ऐसे साधक जीवन में जिस बात का संकल्प कर लेते हैं वह उस काम को पूरा करके ही रहते हैं।
नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा के बाद, दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
- यह दिन संतुलन और संयम का प्रतीक है।
- इस दिन व्रती आत्मा की शुद्धि, साहस और ज्ञान की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से उपवास रखते हैं।
- यह दिन मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें?
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmacharini Puja) करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:-
- साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और पूजा स्थल के साथ-साथ अपने मन को साफ़ रखें।
- पूजन सामग्री के लिए फूल, सफेद वस्त्र, लाल चंदन, दीपक और अगरबत्ती तैयार रखें।
- मंत्र उच्चारण के लिए खुदको समर्पित करते हुए ब्रह्मचारिणी मंत्र का जप करें।
- आरती और भजन करते हुए माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और दीपक जलाएं।
- आप देवी माँ को सफेद फूल, खीर, दूध, सफेद फल और मिठाई प्रसाद के रूप में अर्पित कर सकते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी को क्या अर्पित करें?
- सफेद फूल में आप कमल, चमेली ले सकते हैं।
- फल में आप सेब, नारियल अदि अर्पित कर सकते हैं।
- मिठाई में आप माँ को खीर, दूध से बनी मिठाई आदि अर्पित कर सकते हैं।
- देवी के लिए नया सफेद वस्त्र ही अर्पित करें।
दूसरे दिन सफेद रंग क्यों पहना जाता है?
Navratri Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन व्रती को सफेद वस्त्र पहनकर माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। सफेद रंग शांति, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। यह रंग मानसिक स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmacharini Puja) न केवल आध्यात्मिक लाभ देती है, बल्कि यह मन, वचन और कर्म की शुद्धि का मार्ग भी दिखाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन उनका ध्यान और उपासना हमारी जिंदगी में शांति, संयम और सच्चाई लाती है।
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मां ब्रह्मचारिणी देवी का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
माता ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
नोट:
यह लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म या विश्वास को आहत करना नहीं है, बल्कि केवल सांस्कृतिक और धार्मिक ज्ञान को साझा करना है।
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